Hindi Kahaniya - Bolti Gufa - बच्चों की हिंदी कहानियां

Hindi Kahaniya - Bolti Gufa - बच्चों की हिंदी कहानियां  


Bachhon Ki Hindi Kahaniya - बच्चों की हिंदी कहानियां

Bolti Gufa - Bachhon Ki Hindi Kahaniya


एक समय की बात है। एक शांतिप्रिय राज्य देवनगर में एक न्यायप्रिय राजा थे, उनका नाम था राजा कीर्तिसिंह। एक दिन उनकी सभा में एक चरवाहा एक फरियाद लेकर आया। राजा ने उसे न्याय देने का आश्वासन दिया और उसकी फरियाद पूछी। 

  चरवाहे ने कहा की महाराज मेरी भेड़ों को एक गुफ़ा ने ले लिया है और अब वह किसी बात का जवाब नहीं दे रही। सभी दरबारी दंग रह गए की यह चरवाहा क्या कह रहा है। भला कोई गुफा कैसे भेड़े ले सकती है और जवाब कैसे दे सकती है!

  राजा ने पूछा की क्या तुम यह कहना चाहते हो की किसी बोलती हुई गुफ़ा ने तुम्हारी भेड़े तुम से ले ली है? "जी हां महाराज, इस गुफ़ा ने मुझसे कहा की वह मुझसे एक सवाल पूछेगी और अगर मैंने सही जवाब दिया तो वह मुझे हजारों सोने की मोहरे देगी और धनवान बना देगी पर अगर मैंने गलत जवाब दिया तो मेरी भेड़े ले लेगी", चरवाहे ने कहा।

  राजा ने पूछा, "अच्छा ऐसी बात है, तो फिर क्या हुआ?" "महाराज उस गुफ़ा ने मुझसे एक बहुत आसान सा सवाल पूछा और मैने सही जवाब दिया फिर भी मेरी भेड़े ले ली। महाराज मुझे न्याय दीजिए।" 

  महाराज ने चरवाहे से गुफ़ा का पूछा हुआ सवाल और चरवाहे का जवाब पूछा। चरवाहे ने कहा की महाराज गुफा का सवाल बहुत ही आसान था, उसने पूछा की एक तालाब में 100 मछलियां है और एक मचवारे ने एक जाल तालाब में फेंका जिसमे अब 10 मछलियां फस चुकी है तो कहो अब तालाब में कितनी मछलियां है? जवाब में मैने कहा की अब 90 है तो गुफ़ा से हसने की आवाज आई और मेरी भेड़े गायब हो गई।

  महाराज ने फिर सही बात का पता लगाने अपने सेनापति को एक सैन्य टुकड़ी के साथ भेजा। जब सेनापति वहा पहुंचा तो उसने एक विशाल गुफ़ा देखी। सेनापति ने गुफा से पूछा की क्या वह बोल सकती है? उसने चरवाहे की भेड़ क्यों ली? 

  गुफा ने कहा क्योंकि उसने गलत जवाब दिया था, मछलियां जाल में थी फिर भी थी तो तालाब में ही, इसलिए सही जवाब था 100 मछलियां। अगर तुम मेरे एक सवाल का सही जवाब दो तो मैं तुम्हे सारी भेड़े लौटा दूंगा और अगर गलत जवाब दिया तो सारे तुम्हारे सारे सैनिक मेरे।

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  सेनापति ने कहा की गुफ़ा का जवाब तो सही है और मैं उस चरवाहे जैसी कोई मूर्खता नहीं करूंगा। सेनापति ने गुफ़ा से कहा ठीक है पूछो अपना सवाल। 

   गुफ़ा ने पूछा की, "बताओ वह क्या है जो है एक रक्षक की साथी, होती छोटी पर जिम्मेदारी होती उस पर बडी बडी, वह खो जाए तो अटक जाओ तुम और जो खो दोगे उसका रक्षक साथी तो किसी काम की नही इसे पाओगे तुम!

  सेनापति सोच मे पड़ गया। उसे कुछ सूझ नही रहा था। अचानक उसका आत्मविश्वास कम होने लगा। उसने अपने सिपाहियों की तरफ देखा तो वह भी एक दूसरे को देख रहे थे। सभी सिपाहियों को अपने प्राणों की चिंता हुई तो सबने अपने अपने उत्तर देकर सेनापति की मदद करने की सोची। सभी सेनापति को जवाब बताने लगा, किसी ने कहा सेनापति जी सुई, तो कोई बोला नाव, किसी ने कहा मशाल तो किसी ने कहा अंगूठी।

  सेनापति को कुछ सूझ नही रहा था, इतने शोर में वह ज्यादा सोच भी नही पा रहे थे। गुफ़ा जवाब की प्रतीक्षा में थी। सेनापति को कुछ भी ना सूझा तो जो सिपाहियों ने जवाब दिए थे उन्हीं में से एक 'अंगूठी' कह दिया।

  गुफ़ा जोर जोर से हसने लगी और कहा की यह गलत जवाब है, सही जवाब है 'चाबी'। इतना कहते ही सारे सिपाही गायब हो गए। 

  सेनापति खाली हाथ अकेले राज दरबार लौट आए। राजा ने सारी बात सुनी और कहा ठीक है अब हम ही जाकर देखेंगे की आखिर इस गुफ़ा का रहस्य क्या है।

  महाराज अकेले ही अपने घोड़े पर सवार होकर गुफा की दिशा में निकल गए। जाकर देखा तो एक विशाल गुफ़ा थी जो बहुत रहस्यमय लग रही थी। महाराज गुफ़ा के सामने आकर खड़े हो गए और गुफ़ा से उसका रहस्य पूछने लगे। राजा ने कहा, " ए गुफ़ा, क्यों तुम लोगो से सवाल पूछकर उन्हें सताती हो। तुम्हारी मंशा क्या है? तुम्हारे कारण मेरी प्रजा को कष्ट हुआ है। मुझे मेरे सैनिक और चरवाहे को उसकी भेड़े लौटा दो और यह खेल बंद करो।"

  गुफ़ा ने कहा, " आओ राजन, मुझे पता था की अगर सेनापति आया है तो राजा भी आएगा। अगर तुम मेरे एक सवाल का सही सही जवाब दे सको तो अपने सैनिक और चरवाहे की भेड़े ले जा सकते हो। तुम्हारे सामने सारा रहस्य खुल जायेगा पर अगर जवाब नही दे पाए तो तुम्हारा यह घोड़ा मेरा। बोलो है मंजूर?

  राजा ने कुछ क्षण सोचा फिर कहा, "ठीक है पूछो अपना सवाल।"

 गुफ़ा ने पूछा, " तो बताओ राजा वह क्या है जो उड़ तो सकती है मगर उसके पंख नही है, अमीर, गरीब, मानव, पशु, पक्षी या किसी में भी कोई फर्क नहीं करती, उसे रोकना मुश्किल है और पकड़ना ना मुमकिन!"

  राजा ने कुछ देर सोचा, फिर मुस्कुराए और कहा,। "वह नींद है, जो अमीर गरीब में कोई भेद नहीं करती, अचानक किसी भी वजह से उड़ सकती है पर उसके पंख नही होते और हम उसे मुश्किल से कुछ देर रोक सकते है पर पकड़ नही सकते!"

   गुफ़ा ने कहा, "बिल्कुल सही जवाब! वाह राजन वाह!" फिर सारे गायब हुए सैनिक और चरवाहे की भेड़े गुफ़ा के बाहर प्रकट हो गए। गुफ़ा चमत्कारिक रूप से एक देवता में परिवर्तित हो गई। राजा ने देव को प्रणाम किया। देवता ने आशीर्वाद देते हुए राजा से कहा की, "राजन तुम्हारी वजह से मुझे एक ऋषि के श्राप से आज मुक्ति मिली है। वर्षो पूर्व एक ऋषिगण के साथ की गई चेष्टा के कारण मुझे एक गुफा बनने का श्राप मिला था। किंतु वर्षो तक अपने प्रायश्चित के लिए मैं भगवान से प्राथना करता रहा, इस लिए प्रभु ने कुछ समय पहले मुझे यह आशीर्वाद दिया की जो भी तुम्हारे प्रश्न का सही उत्तर दे सकेगा उसी के जवाब से तुम्हारा उद्धार होगा। इसलिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं। और मेरा आशीर्वाद है की आपकी प्रजा सुखी और संपन्न रहेगी। जब तक आप या आपकी पीढ़ियां यहां राज करेगी यहां कभी बाढ़ या सूखे जैसी आपदा नही आयेगी।"

  राजा ने कहा, "हे देवता, आपकी मुक्ति का मैं निमित्त बना यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मेरी और मेरी प्रजा की और से मैं आपको नमन करता हूं।"

  देवता आशीर्वाद देते हुए चमत्कारिक रूप से गायब हो गए। सभी सैनिक महाराज की जय जयकार करने लगे और सभी दरबार लौट आए।


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